Minggu, 20 April 2025

मामक: मामा के लिए एक अनोखा शब्द


इंडोनेशिया की विविध सांस्कृतिक विरासत में हर जातीय समूह के पास परिवार के सदस्यों को पुकारने के अपने-अपने अनूठे तरीके हैं। ऐसे ही एक दिलचस्प उदाहरण है मिनांगकाबाउ संस्कृति में “मामा” को पुकारने का तरीका — जिसे वहाँ मामक कहा जाता है।

मिनांगकाबाउ संस्कृति में मामक सिर्फ माँ के भाई को नहीं दर्शाता, बल्कि यह एक गहरा सामाजिक और पारिवारिक अर्थ भी रखता है। यह शब्द पारंपरिक मातृसत्तात्मक व्यवस्था से जुड़ा है, जिसमें मामा (मामक) का बच्चों और पूरे कबीले में विशेष दायित्व होता है।

लेखक अकबर पीतोपांग अपनी व्यक्तिगत कहानी साझा करते हैं कि कैसे वह अपने भांजे-भांजियों के लिए एक मामक बने। उनके तीन भाई हैं, और हर भाई को बच्चे अलग-अलग नाम से पुकारते हैं — यह सब उम्र और पारिवारिक स्थिति के अनुसार तय होता है।

उन्हें "Mak Dang" कहा जाता है, जो Mamak Gadang यानी बड़े मामक का संक्षिप्त रूप है। उनके मंझले भाई को "Mak Ngah" (Mamak Tangah), और सबसे छोटे भाई को "Mak Etek" (Mamak Ketek) कहा जाता है।

यह नामकरण परिवार में अनुशासन, सम्मान और उम्र के क्रम को दर्शाता है। यह केवल पुकारने का तरीका नहीं, बल्कि यह बच्चों को सिखाता है कि परिवार में हर सदस्य की भूमिका अलग और महत्वपूर्ण होती है।

मिनांगकाबाउ समाज में मामक एक संरक्षक, मार्गदर्शक और सांस्कृतिक परंपराओं को आगे ले जाने वाला होता है। वह सिर्फ चाचा नहीं, बल्कि बच्चों की परवरिश, सलाह और सामाजिक व्यवहार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

आज के दौर में जब कई क्षेत्र पारंपरिक शब्दों को त्याग कर ‘अंकल’ या ‘ओम’ जैसे विदेशी शब्द अपना रहे हैं, तब भी मिनांगकाबाउ समाज अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा हुआ है और गर्व से मामक शब्द का प्रयोग करता है।

लेखक यह भी आलोचना करते हैं कि कुछ परिवार मामक जैसे शब्द को अपनाने में शर्म महसूस करते हैं और विदेशी शब्दों को अपनाकर खुद को ऊँचा दिखाने की कोशिश करते हैं। यह व्यवहार सांस्कृतिक पहचान से दूरी की ओर इशारा करता है।

फिर भी, परंपरागत समुदायों में यह नामकरण व्यवस्था आज भी जीवित है। मामक शब्द केवल एक पारिवारिक संबोधन नहीं है, यह जिम्मेदारी, विरासत और गहरे पारिवारिक संबंधों का प्रतीक है।

दिलचस्प बात यह है कि मामक शब्द अन्य संस्कृतियों में भी पाया जाता है। मलेशिया में तमिल मुस्लिम समुदाय में "मामा" शब्द का प्रयोग माँ के भाई के लिए सम्मानसूचक रूप में किया जाता है।

मलेशिया का मामक समुदाय दक्षिण भारत, विशेष रूप से तमिलनाडु से आया है, और यह शब्द वहीं की सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा हुआ है। हालांकि कुछ जगहों पर इसका प्रयोग नकारात्मक रूप में भी किया जाता है, फिर भी इसके पारंपरिक महत्व को नकारा नहीं जा सकता।

मिनांगकाबाउ में, मामक शब्द पूरी गरिमा और सम्मान के साथ प्रयोग होता है। Mak Dang, Mak Ngah और Mak Etek जैसे विशेषण परिवार की संरचना को और भी रोचक बनाते हैं।

बचपन से ही बच्चे सीखते हैं कि परिवार में कैसे सम्मान देना है, किसे किस रूप में संबोधित करना है और इससे उनका सामाजिक आचरण भी प्रभावित होता है।

समाजशास्त्रीय दृष्टि से देखें तो मामक की भूमिका यह दिखाती है कि कैसे पारिवारिक संबोधन भी सांस्कृतिक शिक्षा और मूल्यों का एक अहम माध्यम हो सकता है।

यदि हमें अपनी सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं को बचाए रखना है, तो हमें मामक जैसे शब्दों को जीवित रखना होगा। ये शब्द केवल बोली नहीं, बल्कि हमारी पहचान हैं।

एक मामूली सी लगने वाली कहानी — चाचा को कैसे पुकारा जाता है — हमें पारिवारिक संबंधों, आदर, और सांस्कृतिक धरोहरों की गहराई से रूबरू कराती है।

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